BA Semester-5 Paper-1 Econimics - Economic Growth and Development - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2773
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 8 
रोस्टोव की विकास की अवस्थाएँ

 

(Rostow's Stages of Growth)

प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर-

आर्थिक विकास की अवस्थाओं का ऐतिहासिक क्रम के अनुरूप विश्लेषण अमेरिकन अर्थशास्त्री प्रो. डब्ल्यू. रोस्टोव ने अपनी पुस्तक The Stages of Economic Growth' में किया।

रोस्टोव के अनुसार, विकास की मुख्य अवस्थाएँ पाँच हैं-

1. परम्परागत समाज की अवस्था,
2. स्वयं स्फूर्ति से पूर्व की दशा,
3. स्वयं स्फूर्ति की दशा,
4. परिपक्वता की अवस्था,
5. पाँचवीं अवस्था उच्च जन उपभोग की अवस्था।

1. परम्परागत समाज की अवस्था (The Traditional Society) - परम्परागत समाज की अवस्था से अभिप्राय एक प्राथमिक समाज से है जिसमें उत्पादन हेतु परम्परागत तकनीक का प्रयोग किया जाता है तथा भौतिक जगत के लिए परम्परागत दृष्टिकोण विद्यमान होता है।

रोस्टोव के अनुसार "परम्परागत समाज वह है जहाँ न्यूटन से पूर्व के विज्ञान एवं तकनीक पर आधारित उत्पादन फलन कार्य करते हैं व दृष्टिकोण भी संकुचित होता है।"

रोस्टोव के अनुसार परम्परागत समाज की अवस्था के मुख्य लक्षण निम्न हैं-

(i) यह परिवर्तन रहित व जड़ समान है। परम्परागत रीति रिवाज एवं सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन किया जाना सम्भव नहीं होगा।

(ii) कृषि मुख्य व्यवसाय होता है जिसके साथ अन्य शिल्प धीरे-धीरे विकसित होते हैं।

(iii) राज्य आगम मुख्यतः भूमि द्वारा प्राप्त होते हैं।

(iv) सामाजिक संरचना में पारिवारिक एवं जातिगत सम्बन्ध महत्वपूर्ण होते हैं।

(v) व्यक्ति अपने भौतिक पर्यावरण के बारे में पर्याप्त समझ नहीं रखते। इस कारण परिवर्तन के प्रति उत्तरदायी शक्तियों सतत व नियमित रूप से कार्य नहीं करतीं।

2. स्वयं स्फूर्ति से पूर्व की दशा (The Pre-take of Stage) - विकास की दूसरी अवस्था स्वयं स्फूर्ति के लिए पूर्व दशाओं का आधार मुख्यतः सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचना में आधारभूत परिवर्तन लाती है।

परिवर्तन की इस प्रक्रिया में काफी लम्बी समय प्रक्रिया एक शताब्दी या इससे भी अधिक लगता है।

सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिवर्तन निम्न हैं.

(i) दृष्टिकोण में परिवर्तन,
(ii) लाभ प्राप्त करने की इच्छा,
(iii) जोखिम सहन करने की योग्यता का बढ़ना,
(iv) वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग तकनीक में सुधार,
(v) कर प्रणाली एवं वित्तीय प्रणाली का विकास।

3. स्वयं स्फूर्ति का दशा (The Take-off Stage) - स्वयं स्फूर्ति की दशा के उत्पन्न होने के लिए प्रेरक शक्तियों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रोस्टोव ने कहा कि यह प्रेरणाएँ एक राजनीतिक क्रान्ति का रूप भी ले सकती हैं।

जिससे विनियोग का परिव्यय आय का वितरण, आर्थिक संस्थाओं का चरित्र एवं सामाजिक शक्ति व मूल्यों का संतुलन प्रभावित होता है। रोस्टोव के अनुसार, "स्वयं स्फूर्ति की अवधि अल्पकालीन होती है और यह लगभग दो दशकों में पूर्ण हो जाती है।"

रोस्टोव के अनुसार, स्वयं स्फूर्ति काल में अग्र क्षेत्रों का तीव्र विकास होता है। इसके कारण निम्न हैं-

(i) इन क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की समर्थ माँग में होने वाली तीव्र वृद्धि |
(ii) इन क्षेत्रों में पूँजी का अधिक प्रयोग किया जाना।
(iii) उत्पादन की नवीन विधियों का प्रयोग।
(iv) बचतों को विनियोग की ओर गतिशील करना।

(v) मुख्य क्षेत्रों के विकास से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में उत्पादकता वृद्धि मुख्य क्षेत्रों का उदाहरण रेलवे व वस्त्र उद्योग हैं।

रोस्टोव के अनुसार अर्थव्यवस्था में मुख्य क्षेत्र निम्न हैं-

1. प्राथमिक वृद्धि क्षेत्र - जहाँ नवप्रवर्तन की अधिक संभावनाएँ विद्यमान होती हैं जिसके द्वारा अभी तक अशोषित संसाधनों का बेहतर प्रयोग होता है तथा वृद्धि की उच्च दर प्राप्त होती है।

2. पूरक वृद्धि क्षेत्र - प्राथमिक वृद्धि क्षेत्र में होने वाली वृद्धि के प्रत्युत्तर में पूरक क्षेत्र

विकास करते हैं।

3. व्युत्पन्न वृद्धि क्षेत्र - कुल वास्तविक आय व जनसंख्या में होने वाली वृद्धि के परिणामस्वरूप व्युत्पन्न क्षेत्र वृद्धि करते हैं।

कृषि क्षेत्र में जनसंख्या का प्रतिशत अल्प होना, औद्योगिक क्षेत्र का विकास होना तथा कृषि व उद्योग में उत्पादन की नवीन तकनीक का प्रयोग होना।

जनसंख्या वृद्धि की दर के सापेक्ष राष्ट्रीय आय की वृद्धि दरें उच्च होती हैं। राष्ट्रीय आय की वृद्धि से पूँजी संचय बढ़ता है व विनियोग दरें ऊँची होती हैं। अर्थव्यवस्था में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तन जिससे नवप्रवर्तन को प्रोत्साहन मिलता है।

4. परिपक्वता की अवस्था (Drive to Maturity) - स्वयं स्फूर्ति अवस्था के उपरान्त की अवस्था अर्थव्यवस्था को परिपक्वता की ओर ले जाती है। रोस्टोव के अनुसार, परिपक्वता की अवस्था में सम्पूर्ण आर्थिक क्रियाओं पर आधुनिक तकनीक का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखायी देता है। नयी तकनीकों की खोज होती है, नये उद्योग फलते-फूलते हैं।

कोयला, लौह इस्पात व भारी इंजीनियरिंग वस्तुओं के स्थान पर मशीन, रसायन व विद्युत यन्त्र उद्योग का विकास होता है।

राष्ट्रीय आय के 10-20 प्रतिशत भाग का विनियोग होने से प्रति व्यक्ति आय में भी तेजी से वृद्धि होती है। व्यक्तियों के जीवन स्तर में सुधार आता है। अधिक आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा हेतु श्रमिकों में संगठित रहने की प्रवृत्ति बढ़ती है।

कार्यकारी जनसंख्या अधिक कुशल होती है।

व्यक्ति शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं।

विदेशी व्यापार के क्षेत्र में निर्भरता कम होने लगती है। निर्यातों के परिणाम व मूल्य में वृद्धि होती है तथा अधिकांश आयातित वस्तुओं का उत्पादन देश में किया जाने लगता है। इसके कारण से स्वतंत्र निजी उपक्रमी के स्थान पर वेतन भोगी प्रबन्धक का योगदान बढ़ता है। उत्पादन के क्षेत्र में उपभोक्ता वस्तु उद्योग के विकास को सर्वाधिक महत्व प्राप्त होता है।

(i) राष्ट्रीय आय में कृषि के प्रतिशत में कमी, ग्रामीण जनसंख्या का अल्प प्रतिशत व शहरीकरण की वृद्धि |

(ii) आधुनिक तकनीक के प्रयोग से उत्पादकता में तीव्र वृद्धि।
(iii) श्रमिकों का अधिक जागरूक व संगठित होना।
(iv) विदेशी व्यापार में वृद्धि।

5. अत्यधिक जनउपभोग की अवस्था (Stage of High Mass Consumption) - उच्च जन उपभोग की अवस्था में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का प्रयोग बढ़ता है। व्यक्ति की प्रति व्यक्ति आय इतनी अधिक हो जाती है कि जीवन निर्वाह हेतु आवश्यक खाद्यान्न, वस्त्र एवं आवास की समुचित व्यवस्था करने के उपरान्त उच्च उपभोग की वस्तुओं जैसे रेफ्रिजरेटर, धुलाई की मशीन, मोटर कार इत्यादि को क्रय करना आवश्यक समझता है। इस अवस्था में पूर्ति के सापेक्ष माँग पक्ष उत्पादन की समस्याओं के सापेक्ष उपभोग पक्ष पर अधिक ध्यान दिया जाता है। व्यक्ति शहरी क्षेत्रों से उपनगरीय क्षेत्रों में रहना अधिक पसन्द करने लगते हैं। उच्च जन उपभोग की अवस्था में देश अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देता है। जनसंख्या का अधिकांश भाग सेवा क्षेत्र में आजीविका प्राप्त करता है। श्रमिकों के हित हेतु सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न उपाय अपनाये जाते हैं।

कल्याणकारी राज्य को स्थापित करने के उद्देश्य से आर्थिक विषमताओं में कमी करने वाले कार्यक्रमों को लागू किया जाता है।

आलोचनात्मक मूल्यांकन - प्रो. रोस्टोव के ऐतिहासिक घटनाओं के मूल्यांकन द्वारा आर्थिक वृद्धि की अवस्थाओं का सुस्पष्ट विश्लेषण प्रस्तुत किया। उनकी व्याख्या एक देश के द्वारा किये जा रहे विकास हेतु आवश्यक आवश्यकताओं एवं सामाजिक व सांस्कृतिक दशाओं की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। इन्हीं कारणों से प्रो. बेंजामिन हिगन्स रोस्टोव की व्याख्या को ऐतिहासिक अवलोकन की दृष्टि से उपयुक्त मानते हैं। लेकिन साइमन कुजनेट्स, के अनुसार, प्रो. मायर, स्टीफन एन. के. ने रोस्टोव के विश्लेषण को व्यावहारिक नहीं माना है।

आलोचना -

1. मेयर का विचार था कि प्रत्येक देश के लिए आवश्यक नहीं है कि वह विकास की प्रक्रिया में इन्हीं अवस्थाओं को प्राप्त करे व इन्हीं से होकर गुजरे, यह सम्भव है कि किसी अवस्था से अगली अवस्था में प्रवेश कर जाये। प्रो. साइमन कुजनेट्स व केअर नक्रास के अनुसार विभिन्न अवस्थाएँ एक-दूसरे के ऊपर आच्छादित रहती हैं व ऐसे में अलग-अलग अवस्थाओं में एक जैसी विशेषताएँ दिखायी देती हैं। अतः वैज्ञानिक, सांस्कृतिक व भौतिक उपलब्धियों की दृष्टि से यह मापदण्ड पर्याप्त नहीं है।

2. विकास की विभिन्न अवस्थाओं का स्पष्ट विभाजन सम्भव नहीं - प्रो. पी. टी. बायर के अनुसार रोस्टोव द्वारा वर्णित विकास की विभिन्न अवस्थाएँ स्पष्ट रूप से व्याख्यायितनहीं की गयी हैं।

3. विभिन्न अवस्थाओं की तिथि सही नहीं मानी जा सकती - रोस्टोव ने विकास की विभिन्न अवस्थाओं को प्राप्त करने सम्बन्धी जो तिथियाँ विभिन्न देशों के सन्दर्भ में बतायी हैं वह प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती हैं।

4. स्वनिर्भर विकास का विचार भ्रमात्मक है - कुजनेट्स ने कहा कि रोस्टोव द्वारा वर्णित स्वनिर्भर या आत्मनिर्भर विकास का भ्रम उत्पन्न करता है। वास्तव में आर्थिक विकास की प्रक्रिया अनेक असन्तुलनों से परिपूर्ण होती है। अतः उसका स्वयं संचालित होना सम्भव नहीं होता।

5. अग्र क्षेत्रों का विचार उचित नहीं है - प्रो. के असक्रास के अनुसार रोस्टोव द्वारा अग्र क्षेत्रों के विकास का क्रम ऐतिहासिक अनुभव से प्रभावित नहीं होता बल्कि विकास को प्राप्त होने वाली गति किसी उद्योग विशेष द्वारा प्राप्त होती है।

6. विकास की प्रक्रिया का आकस्मिक रूप से सम्भव होना तर्कसंगत नहीं है - आलोचकों के अनुसार, रोस्टोव द्वारा वर्णित स्वयं स्फूर्ति अवस्था में विकास हेतु आकस्मिक छलांग की मान्यता स्वीकार की गयी है जबकि विकास एक नियमित, सतत् एवं समन्वित प्रक्रिया है। यह विकास हेतु पूँजी निर्माण के महत्व को रेखांकित करता है।

उपर्युक्त आलोचना के बाद भी रोस्टोव का विश्लेषण किसी सीमा तक अल्पविकसित देशों के विकास हेतु आवश्यक दशाओं को स्पष्ट करता है। यह उन देशों के औद्योगीकरण की आवश्यकताओं की सूचना देता है। सबसे मुख्य बात यह है कि रोस्टोव का विश्लेषण औद्योगीकरण हेतु वांछित सामाजिक परिवर्तनों के महत्व पर प्रकाश डालता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
  3. प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
  4. प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
  5. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
  7. प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
  9. प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
  11. प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
  12. प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
  13. प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
  14. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
  16. प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
  18. प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
  22. प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
  25. प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
  26. प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
  28. प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
  29. प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
  31. प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
  32. प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
  33. प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
  35. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  39. प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  40. प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
  42. प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
  43. प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
  45. प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
  46. प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
  47. प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
  48. प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
  49. प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
  50. प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
  52. प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  53. प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
  54. प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
  55. प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
  56. प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
  57. प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
  58. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
  60. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
  62. प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  63. प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
  64. प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  65. प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  66. प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
  67. प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
  69. प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
  70. प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
  72. प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
  73. प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
  74. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
  75. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
  76. प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
  78. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
  82. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  83. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
  84. प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
  85. प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
  86. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
  88. प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
  89. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
  90. प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
  91. प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
  92. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
  96. प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  98. प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
  101. प्रश्न- बोइके का सामाजिक दुहरापन सिद्धान्त समझाइये।
  102. प्रश्न- मिन्ट का वित्तीय दुहरेपन को दूर करने का विकास सिद्धान्त क्या है?
  103. प्रश्न- अल्पविकास का निर्भरतापरक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  105. प्रश्न- हैरड की तटस्थ तकनीकी प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- तटस्थ एवं गैर तटस्थ तकनीकी प्रगति क्या है? तटस्थता के सम्बन्ध में हिक्स की धारणा स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- आर्थिक विकास में तकनीकी प्रगति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
  109. प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
  110. प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  111. प्रश्न- करने से जानकारी (कौशल अर्जन) (Learning By Doing) को स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- तकनीकी प्रगति का अभिप्राय क्या है?
  113. प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- शोध एवं विकास (Research and Development ) पर टिप्पणी कीजिए।
  115. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा, शोध एवं ज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे विकासशील देश में निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की क्या भूमिका है?
  119. प्रश्न- विश्व बैंक के क्या कार्य हैं? विकासशील देशों के सम्बन्ध में विश्व बैंक की क्या नीति है?
  120. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थापना कब हुई थी तथा विकासशील देशों के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की नीतियों की स्पष्ट विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  122. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।
  123. प्रश्न- भारत के बाह्य ऋण' समझाइये |
  124. प्रश्न- 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- निजी विदेशी निवेश के विचार से आप क्या समझते हैं?
  126. प्रश्न- आर्थिक विकास में घाटे का वित्त प्रबंधन की भूमिका की व्याख्या कीजिए [
  127. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक वृद्धि में विदेशी व्यापार की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  128. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति किस प्रकार कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  129. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  130. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सफलताओं एवं असफलताओं को स्पष्ट कीजिए।
  131. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को होने वाले लाभों का विश्लेषण कीजिए।
  132. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  133. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
  134. प्रश्न- विश्व बैंक से भारत को क्या लाभ हुए हैं? समझाइये |
  135. प्रश्न- विश्व बैंक की प्रमुख आलोचनायें लिखिये।
  136. प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
  137. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।

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